World Tribal Day :  संपूर्ण विश्व में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है. साल 2022 को भी 9 अगस्त को  विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाएगा. ऐसे में हम सभी के मन में एक सवाल आता है कि आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस और इसके पीछे का इतिहास क्या है?

इस सवाल का जवाब हम में से बहुत से लोग जानते भी हो शायद, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होंगे जो इस सवाल का जवाब नहीं जानते होंगे. वैसे ही लोगों के लिए आज हम बताने वाले हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व  आदिवासी दिवस और इसके पीछे जुड़े इतिहास के बारे में..

तो चलिए दोस्तों आर्टिकल की मदद से हम आपको बताते हैं. विश्व आदिवासी दिवस के बारे में.


World Tribal Day



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आपकी जानकारी के लिए बता दें विभिन्न संस्थाओं के द्वारा और सरकारों के द्वारा समय-समय पर आदिवासियों के उत्थान के लिए  बहुत से लाभप्रद कार्य किए जाते हैं. अगर रिपोर्ट की माने आज के समय में संपूर्ण विश्व में आदिवासियों की  घटते घटते 37 करोड़ के आसपास रह गई है. ऐसे में यह बात कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा की मॉडर्न लोग कहीं ना कहीं आदिवासियों के अस्तित्व का दुश्मन बन चुके हैं. क्योंकि  लोग  साल दर साल लाखों करोड़ों पेड़  को काट रहे हैं. वह भी केवल अपने फायदे के लिए. लोग अपने फायदे के चक्कर में यह बात भूल जाते हैं  कि  वे आदिवासियों  के घर को नष्ट कर रहे हैं. क्योंकि आदिवासियों का घर जंगल ही तो है.


विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास

विश्व आदिवासी दिवस को पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में प्राथमिक बैठक के दिन  घोषित किया गया था. वर्ष 1982 में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी दल की आदिवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र की कार्यकारी पार्टी की पहली बैठक हुई थी.

विश्व आदिवासी दिवस 2022 की थीम

पिछले वर्ष यानी कि 2021 में कोविड-19 महामारी की वजह से कोई भी थीम जारी नहीं किया गया था. केवल 2020 के थीम को पुनः जारी कर दिया गया था. इस वर्ष यानी विश्व आदिवासी दिवस 

2022 की थीम आर्थिक और सामाजिक मामलों का विभाग,इस वर्ष के विषय पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इस वर्ष की थीम “संरक्षण में स्वदेशी महिलाओं की भूमिका और पारंपरिक ज्ञान का प्रसारण ” [“The Role of Indigenous Women in the Preservation and Transmission of Traditional Knowledge”]


झारखंड प्रमुख राज्य

भारत देश के बिहार राज्य के पड़ोसी राज्य झारखंड राज्य में आदिवासियों की  आबादी तकरीबन 26 फ़ीसदी है. 32 आदिवासी जनजातियां झारखंड राज्य में निवास करती हैं. इन जनजातियों में  बिरहोर, पहाड़िया, माल पहाड़िया, कोरबा, बिरजिया, असुर, सबर, खड़िया और बिरजिया जनजाति समूह हैं. जिस वक्त देश आजाद हुआ था उस वक्त झारखंड राज्य में  आदिवासी जनजाति की संख्या 35 फ़ीसदी के करीब थी. जो कि 2011 के जनगणना के मुताबिक  घटकर 26 फ़ीसदी रह गई है.