सम्राट पृथ्वीराज चौहान का इतिहास,जीवन परिचय,प्रेम कहानी
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास,कहानी,कथा,वंशज,परिचय,संयोगिता,प्रेम कहानी,जन्म, मृत्यु कैसे हुई बेटा,बेटी,मित्र धर्म,जातिवाद ( Prithviraj Chauhan biography, movie in Hindi)( Sanyogita Kahani death,birth,reason friend,movie release date,budget)
पृथ्वीराज चौहान आखरी हिंदू शासक थे जो चौहान वंश में जन्मे थे. केवल ११ वर्ष की छोटी सी उम्र में ही उनके सर से पिता का साया उठ गया था. केवल ११ वर्ष की उम्र में ही पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने पश्चात दिल्ली और अजमेर का शासन संभाल लिया और उसे कई सीमाओं तक फैलाया भी. परंतु अंत में वे राजनीति के शिकार हुए और अपनी रियासत हार गए. परंतु उनकी हार के बाद कोई भी हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान की कमी पूरी नहीं कर पाया. पृथ्वीराज चौहान को राय पिथौरा भी कहते थे . पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक योद्धा थे. वे युद्ध में बहुत से गुण सीखे थे. पृथ्वीराज चौहान अपने बाल्य काल में ही शब्दभेदी बाण विद्या का अभ्यास कर लिया था.
इस लेख में हम आपको पृथ्वीराज चौहान की जीवनी का इतिहास बताने वाले हैं. इसलिए इसे ध्यान पूर्वक अंत तक जरूर पढ़ें.
पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय
- पूरा नाम-पृथ्वीराज चौहान
- अन्य नाम- हिन्दूसम्राट, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा,भरतेश्वर, पृथ्वीराज तृतीय
- व्यवसाय- क्षत्रिय
- जन्मतिथि-1149
- जन्म स्थान-पाटन,गुजरात,भारत
- मृत्यु तिथि-1192
- मृत्यु स्थान -अजयमेरु (अजमेर), राजस्थान
- वंश-चौहान वंश
- वैवाहिक स्थिति-विवाहित
- पराजय-मोहम्मद गौरी से
- राष्ट्रीयता-भारतीय
- धर्म-हिंदू
पृथ्वीराज चौहान का शुरुआती जीवन एवं जन्म परिवार
- पिता-सोमेश्वर
- माता-कर्पूर देवी
- भाई-हरीराज (छोटा)
- बहन-पृथा (छोटी)
- बेटा-गोविंद चौहान
- बेटी-कोई नहीं
Prithviraj Chauhan | पृथ्वीराज चौहान | Prithviraj Chauhan biography
महान शासक पृथ्वीराज चौहान 1149 में अजमेर के महाराज सोमेश्वर और कर्पूरादेवी के घर में जन्म लिए. उनके माता-पिता के विवाह के १२ वर्षों के बाद पृथ्वीराज चौहान का जन्म हुआ. और यही बात राज्य में खलबली मचा दी और जन्म से ही इनकी मृत्यु के षड्यंत्र रचे जाने लगे थे. मात्र ११ वर्ष की आयु में पृथ्वीराज के सिर से उनके पिता का साया उठ गया था. परंतु फिर भी उन्होंने अपने दायित्व का निर्वाहन लगातार अन्य राजाओं को पराजित कर अपने राज्य का विस्तार करते चले गए.
पृथ्वीराज चौहान के बचपन के मित्र थे उनका नाम चंदबरदाई था. चंदबरदाई पृथ्वीराज के लिए भाई से कम न थे. चंदबरदाई तोमर वंश के शासक अनंगपाल की बेटी के पुत्र था.जो बाद में दिल्ली के शासक बने और उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के सहयोग से पिथोरगढ़ का निर्माण किया था जो आज भी दिल्ली में पुराने किले के नाम से जाना जाता है.
पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली पर उत्तराधिकार :
कर्पूर देवी जो अजमेर की महारानी थी उनके पिता अंगपाल की वो एकलौती संतान थी. इसलिए अंगपाल के सामने सबसे बड़ी समस्या यह था कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनका शासन कौन चलाएगा. उन्होंने अपनी पुत्री और दमाद के सामने यह समस्या रखी और दोनों की सहमति के पश्चात युवराज पृथ्वीराज को अपना उत्तराधिकारी बना दिया. सन 1166 में अंगपाल की मृत्यु के पश्चात पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली की गद्दी पर राज्याभिषेक किया गया. और उन्हें दिल्ली का कार्यभार दे दिया गया था.
कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता चौहान और पृथ्वीराज चौहान की कहानी :
पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता चौहान की प्रेम कहानियां आज भी राजस्थान मे परचलित है . पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता चौहान एक दूसरे से मिले बिना केवल चित्र को देखकर ही एक दूसरे के प्यार में मोहित हो चुके थे. लेकिन संयोगिता चौहान के पिता जयचंद्र को पृथ्वीराज चौहान से बहुत ईर्ष्या का भाव था. इसलिए संयोगिता चौहान और पृथ्वीराज चौहान की विवाह का बात तो दूर दूर तक सोचने योग्य नहीं था.
जयचंद्र हमेशा पृथ्वीराज चौहान को नीचा दिखाने की मौके की तलाश में रहते थे. और यह मौका जयचंद्र को उसकी बेटी संयोगिता चौहान के स्वयंवर में मिला. और जयचंद्र ने इस स्वयंवर में समस्त देश के राजाओं को आमंत्रित किया,केवल पृथ्वीराज चौहान को छोड़कर. पृथ्वीराज को नीचा दिखाने के उद्देश्य से जयचंद्र ने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति द्वारपाल के स्थान पर रखवा दी.
लेकिन इसी स्वयंवर में पृथ्वीराज चौहान ने संयोगिता की इच्छा से उनका अपहरण भरी महफिल से ही कर लिया और उन्हें भगा कर अपने रियासत में ले गए.
और दिल्ली आने के बाद दोनों की पूरी विधि विधान के साथ विवाह हुआ था. इसके बाद जयचंद और पृथ्वीराज चौहान की दुश्मनी और ज्यादा बढ़ गई.
पृथ्वीराज चौहान की विशाल सेना:
पृथ्वीराज की सेना बहुत ही विशाल थी.इसमें लगभग 300000 सैनिक और 300 हाथी था. कहा तो यह भी जाता है कि उनकी सेना बहुत ही अच्छी तरह से संगठित थी. इसी के कारण सेना के बल पर उन्होंने कई युद्ध भी जीता था और अपने राज्य का विस्तार भी किया था.परंतु अंत में कुशल घुड़सवार की कमी और जयचंद की गद्दारी और अन्य राजपूत राजाओं के सहयोग के अभाव में वह मोहम्मद गौरी से द्वितीय विश्व युद्ध हार गए थे.
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी का प्रथम विश्व :
अपने राज्य के विस्तार को लेकर पृथ्वीराज चौहान सजग थे. इस बार उन्होंने अपने राज के विस्तार के लिए पंजाब को चुना था. इस समय समस्त पंजाब पर मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी का शासन था. वह पंजाब के भटिंडा से राज्य पर शासन करता था. इसलिए मोहम्द गौरी से युद्ध किए बिना पंजाब पर शासन करना नामुमकिन था. इसीलिए पृथ्वीराज चौहान ने गौरी पर अपनी पूरी सेना के साथ आक्रमण कर दिया. इस युद्ध में पृथ्वीराज ने सबसे पहले हांसी सरस्वती और सरहिंद पर अपना अधिकार जमाया. लेकिन इसी बीच अनहिलवाड़ा में विद्रोह हो गया और पृथ्वीराज को वहां जाना पड़ गया जिसके कारण उनकी सेना ने अपनी कमांड खो दी और सरहिंद का किला फिर से उन्होंने खो दिया.
जब पृथ्वीराज चौहान अनहिलवाड़ा लौट कर वापस आए. तो दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए. युद्ध के मैदान में केवल वही सैनिक बचा जो मैदान छोड़कर भाग गया. युद्ध में मोहम्मद गोरी अधमरे हो गए. परंतु उनके एक सैनिक ने उन्हें घोड़े पर डालकर महल ले गए और उपचार कराया. यह युद्ध सरहिंद किले के पास तराइन नामक स्थान पर हुआ था इसी कारण से इसे तराइन का युद्ध भी कहते हैं. इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने 7 करोड़ रुपए के लगभग की संपदा अर्जित की. इसको उन्होंने अपने सैनिकों में बांट दिया था.पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद ग़ोरी को 16 बार पराजित किया था, लेकिन हर बार उन्होंने मुहम्मद ग़ोरी को जीवित ही छोड़ दिया था
पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी का दूसरा विश्व युद्ध :
पुत्री संयोगिता के अपहरण के बाद जयचंद्र के मन में पृथ्वीराज के प्रति दुश्मनी बढ़ती चली गई और उसने पृथ्वीराज को अपना दुश्मन बना लिया. वह पृथ्वीराज के खिलाफ अन्य राजपूत राजाओं को भड़काने लगे. जयचंद्र को मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के युद्ध के बारे में पता चला तो वह पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ मोहम्मद गौरी के साथ खड़ा हो गया. दोनों ने मिलकर २ साल बाद ११९२ में पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण कर दिया. ये युद्ध भी तराई के मैदान में ही था. इस युद्ध के समय जब पृथ्वीराज चौहान के मित्र चंदबरदाई ने अन्य राजपूत राजाओं से मदद मांगे. तो राजाओं ने संयोगिता के स्वयंवर में हुई घटना के कारण मदद देने से इनकार कर दिया.
ऐसे में पृथ्वीराज चौहान बिल्कुल अकेले हो गए हैं और उन्होंने अपने सैनिकों के द्वारा गौरी की सेना का सामना किया. मोहम्मद गौरी की सेना में अच्छे घुड़सवार थे. जिसके कारण उन्होंने पृथ्वीराज की सेना को चारों ओर से घेर लिया. ऐसे में वे ना आगे बढ़ पाए और ना ही पीछे जा सके. और जयचंद के गद्दार सैनिकों ने राजपूत सैनिकों पर ही प्रहार किया. इसके कारण पृथ्वीराज चौहान की हार हुई.
युद्ध के बाद पृथ्वीराज चौहान और उनके दोस्त चंदबरदाई को बंदी बना लिया गया. और उधर राजा जयचंद को भी उनके गद्दारी का परिणाम मिला और उसे मार डाला गया.
उसके बाद पूरे पंजाब दिल्ली अजमेर कन्नौज में गौरी का शासन हो गया था. इसके बाद कोई राजपूत शासक भारत में अपना राज लाकर अपनी वीरता साबित नहीं कर सका.
- “चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।”
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु :
गौरी से युद्ध के पश्चात पृथ्वीराज को बंदी बना लिया गया था उन्हें बंदी बनाकर उनके राज्य ले जाया गया था. वहां उन्हें यातनाएं दी गई और पृथ्वीराज की आंखों में लोहे के गर्म सरियो द्वारा जलाया गया था. जिससे उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी.
पृथ्वीराज से उनकी मृत्यु से पहले आखरी इच्छा पूछे जाने पर उन्होंने भरी सभा में अपने मित्र चंदबरदाई के शब्दों पर शब्दभेदी बाण का उपयोग करने की इच्छा प्रकट की. चंदबरदाई द्वारा बोले गए दोहा का उपयोग करते हुए भरी सभा में गौरी की हत्या कर दी. और उसके बाद दोनों ने एक दूसरे की जीवन ही समाप्त कर दी. जब संयोगिता चौहान को ये खबर मिली तो वो भी अपना जीवन समाप्त कर लिया.
पृथ्वीराज चौहान पर बनी मूवी :
पृथ्वीराज चौहान पर बनी मूवी सम्राट पृथ्वीराज का इंतजार अक्षय कुमार के हर फेन को बड़ी बेसब्री के साथ था. सम्राट पृथ्वीराज मूवी रिलीज हो चुकी है.सिनेमाघर में पृथ्वीराज चौहान पर बने फिल्म सम्राट पृथ्वीराज रिलीज हो चुकी है.सम्राट पृथ्वीराज फिल्म को लेकर बहुत विवाद भी हुआ. लेकिन इसके बावजूद फिल्म रिलीज हुई. यह फिल्म यशराज के बैनर तले बना है. इस फिल्म का निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी के द्वारा किया गया है. इस फिल्म में पृथ्वीराज चौहान के जीवन की कहानी को दर्शाया गया है. उनके पराक्रम को दिखाया गया है. इस फिल्म में आपको अक्षय कुमार के साथ सोनू सूद,मनुषी चिल्लर, संजय दत्त और आशुतोष राणा भी नजर आएंगे. या फिर 3 जून 2022 को सिनेमाघर में रिलीज हो चुका है.
पृथ्वीराज चौहान के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:
पृथ्वीराज चौहान मात्र 12 साल की उम्र में बिना किसी हथियार के जंगल में शेर को मार गिराया था. इस बात से उनके साहस शारीरिक बल और बुद्धि कौशलता का पता चलता है.
पृथ्वीराज चौहान इतिहास में सबसे ज्यादा मशहूर थे क्योंकि वे ना केवल शूरवीर राजपूत योद्धा थे बल्कि वह शब्दभेदी बाण की कला में भी निपुण थे.
संयोगिता चौहान और पृथ्वीराज चौहान की प्रेम कहानी भी इतिहास में मशहूर है जिसमें उन्होंने किसी भी परिणाम की परवाह ना करते हुए अपने प्यार को हासिल किया था.
१६ बार पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को हराया था. और हर बार मोहम्मद गौरी को जीवनदान दिया था. इससे उनकी उदारता और महानता का पता चलता है.
मोहम्मद गौरी ने १७वें बार छल से पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया. और उन्हें बंदी बनाकर अफगानिस्तान ले गए. दृष्ट गौरी के शासन ने मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान के शव को दाह संस्कार की अनुमति नहीं दिया और उनकी कब्र बना दी थी.
बहुत सालों के बाद भारत सरकार के प्रयासों से पृथ्वीराज चौहान की अस्थियों को भारत लाने का प्रस्ताव अफगानिस्तान की सरकार के सामने पेश किया गया था. जिसके अनुसार आदरपूर्वक पृथ्वीराज चौहान की अस्थियों को भारत में लाया गया तथा हिंदू पद्धति के अनुसार उनका दाह संस्कार पूरा किया गया.
पृथ्वीराज चौहान और उनके दोस्त चंदबरदाई ने मिलकर पिथौरागढ़ का निर्माण किया था.जो दिल्ली में पुराने किले के नाम से मशहूर है.
पृथ्वीराज चौहान एक साथ दो राज्य दिल्ली और अजमेर का शासन चलाते थे
इस लेख के द्वारा पृथ्वीराज चौहान के जीवन के महत्वपूर्ण अंशो को बताया गया है. जहां जहां पर भी पृथ्वीराज चौहान के जीवन का वर्णन किया गया है वहां थोड़ी बहुत भिन्नता है जैसे कुछ जगहों पर बताया गया है कि पृथ्वीराज के मोहम्मद गौरी के साथ कुल १८ युद्ध हुए थे जिसमें से १७ पृथ्वीराज चौहान विजई रहे. अगर आपके पास इससे संबंधित और कोई अलग जानकारी हो तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें.
FAQ
Q.पृथ्वीराज चौहान कहां के राजा थे?
Ans. पृथ्वीराज चौहान ने 11वीं शताब्दी में एक 1178-92 तक एक साम्राज्य के राजा थे. यह उतरी अजमेर एवं दिल्ली में राज किया करते थे. पृथ्वीराज चौहान एक क्षत्रिय राजा थे
Q.पृथ्वीराज चौहान का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans.पृथ्वीराज चौहान का जन्म गुजरात में 1149 ईसवी में हुआ था.
Q. पृथ्वीराज की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी संयोगिता का क्या हुआ?
Ans.पृथ्वीराज की मृत्यु के बाद कहा जाता है कि संयोगिता ने लाल किले में जोहर कर लिया था. मतलब गरम आग के कुंड में कूद के जान दे देना.
Q.पृथ्वीराज चौहान का भारत के इतिहास में क्या योगदान है?
Ans.चौहान एक महान हिंदू राजपूत राजा थे. जो मुगल के खिलाफ हमेशा ही एक ताकतवर राजा बनकर खड़े रहे. इनका राज उत्तर से लेकर भारत में कई जगह तक फैला हुआ था.
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