Motivation story
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एक बार हुआ यूं , एक व्यक्ति रेगिस्तान में जा रहा था !और वह रास्ता भटक गया, रास्ता भटकने के कारण कई घंटों तक इस रेगिस्तान में भटकता रहा! गर्मी बहुत ज्यादा थी जिसके कारण वह व्यक्ति काफी थक चुका था! चला नहीं जा रहा था, लेकिन फिर भी साहस करके उसने काफी देर तक चला! गर्मी के कारण उसे प्यास भी काफी जोर से लगी थी! उसके पास पीने के लिए पानी नहीं था! वह काफी थक चुका था और प्यासा भी था!  फिर उसने सोचा चला नहीं जाएगा !शायद, मैं बच भी नहीं पाऊंगा रास्ता भी नहीं मिल रहा है! उसने सारी आज छोड़ दी थी और वह काफी निराश हो चुका था! पर फिर उसने सोचा कि थोड़ा हिम्मत करके चल कहीं पीने को पानी मिल जाए!  

                                                                              थोड़ी देर चलने के बाद उसने देखा कुछ दूर पर एक झोपड़ी थी! उसने उस झोपड़ी में आवाज लगाई पर वहां पर कोई मौजूद नहीं था! फिर वह आसपास पानी ढूंढने लगा!  कुछ दूरी पर चापाकल था! चापाकल देखते ही वह खुश हो गया! और उसने भगवान को शुक्रिया कहा! पर जैसे ही उसने चापाकल चलाया चापाकल सूखा हुआ था उसमें पानी नहीं था!  वह फिर से निराश हो गया! फिर वही बैठकर वह भगवान को कसने लगा हे भगवान आपने कहां फंसा दिया मैं परेशान हो गया हूं अब मैं शायद नहीं बच पाऊंगा !वह काफी निराश हो गया था पर अचानक से उसे पास पड़े दो-तीन मटके पर नजर गई! उसने मटके में झांक कर देखा तो उन मटका में से एक में पानी थी, उसमें इतना पानी महसूस था कि वह अपनी प्यास बुझा सके, वह खुश होता  हुआ वह जैसे ही मटके कि पानी पीने के लिए उठाया उसके नीचे एक पर्ची मिली! उस पर्ची में लिखा था "इस पानी को पीना मत" इसका  उपयोग कर चापाकल चला लेना! वह सोचने लगा कि अगर मैं यह पानी नहीं पीता हूं और चापाकल में डाल देता हूं ,चापाकल चल जाए तो ठीक! अगर ना चले तो सारी पानी बर्बाद हो जाएगी!

                                                                    फिर उसने सोचा चलो पानी से पहले चापाकल ही चला लेते हैं! और वह उस पानी को चापाकल में डालकर चलाने लगा! परंतु चापाकल से पानी नहीं आई! वह फिर से निराश हो गया, उसे प्यास भी बड़ी जोर की लगी थी, वहीं पर बैठकर भगवान को बहुत ज्यादा कोसने लगा!परंतु फिर उसने सोचा एक कोशिश और कर लेता हूं, जैसे ही वह चापाकल चलाने  लगा चापाकल में से कुछ पानी के बुलबुले से आवाज आने लगी! इस बार उसने चापाकल के मुंह को अपने हाथ से बंद करके चापाकल को जोर जोर से चलाने लगा! तभी अचानक से चापाकल से पानी निकलना प्रारंभ हो गया!

                                                           पानी देखकर उसके खुशी का ठिकाना ना रहा और वह बड़े ही मजे से पानी पिया! और उसके बाद उस पानी से उसने  स्नान भी किया !क्योंकि गर्मी बहुत ज्यादा थी इसलिए उसने  स्नान भी कर लिया!फिर उसने  दोनों मटकी में पानी  भर लिया! उसमें से एक मटकी उसने वहीं पर छोड़ दिया और उसके नीचे वही पर्ची रख दी जिसमें लिखा था इस पानी को पीना मत इसका उपयोग करके चापाकल चला लेना! यह पर्ची उसने इसलिए लगा दी ताकि कोई और अगर यहां प्यासा आए तो उस पानी का उपयोग करके वह चापाकल चला सके और अपनी प्यास बुझा सके! और एक मटकी को उसने अपने साथ ले जाने का निर्णय किया! क्योंकि वह रास्ता भटक चुका था इसलिए रास्ते में अगर उसे फिर से प्यास लगेगी तो वह उस मटकी का पानी मिलेगा ऐसा उसने सोचा! और फिर अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ गया! इस बार उसकी प्यास भी बुझ चुकी थी और वह अपनी मंजिल की ओर बढ़ने के लिए सक्षम हो चुका था!

                                                             इस कहानी से हमें पता चलता है कि भगवान हमें हमेशा कुछ न कुछ अपॉर्चुनिटी देती हैं हमें उसको पहचानने की जरूरत है! और भगवान द्वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग करके उन संसाधनों में और ज्यादा वृद्धि करने के लिए प्रयास करना चाहिए! ना कि गलत करके भगवान  भगवान द्वारा दिए गए संसाधनों का नमस्कार लेना चाहिए! भगवान हमें हमेशा संसाधन मुहैया कराते हैं जरूरत है की संसाधन कम है या ज्यादा याना सोचकर ,उन संसाधनों  का सदुपयोग करके अपनी तरक्की करें! भगवान सबको मौका देते हैं पहचानो और आगे बढ़ो!


 अमित सिंह